संविदा कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत, होगी परमानेंट नौकरी हाई कोर्ट का फैसला- Contract Employees Normalization News

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Contract Employees Normalization News: सभी संविदा कर्मचारी यानी की जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं उनके लिए महत्वपूर्ण अपडेट आया है। संविदा कर्मचारियों को मिलेगा अब राहत की सांस, क्युकी हाई कोर्ट ने उनकी कई सालों की मांग को पूरा कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों (Contract Employees) के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने या फैसला दिया है कि यदि कोई ऐसा संविदा कर्मचारी यानी कि कांट्रैक्ट एम्पलाई है जो की सरकारी काम को लगातार कई साल से कर रहा है तो उस केस में उस संविदा कर्मचारियों को नियमित यानी की रेगुलर यानी की परमानेंट किया जाना चाहिए, हाई कोर्ट में इस पर सख्त आदेश दिया है।

हाई कोर्ट का कहना है कि संविदा कर्मचारियों द्वारा लगातार सेवा बहुत जरूरी है। जहां पर संस्थान ने खुद संविदा कर्मचारियों को हटाने से नहीं रोका हो और वह लगातार काम कर रहे हैं वहां उन्हें रेगुलर करने पर विचार होना चाहिए। इस फैसले के आते हैं तमाम संविदा कर्मचारी के अंदर हरसोलस खुशी की लहार उमड़ गई।

सरकारी उद्यान का मामला

हाई कोर्ट द्वारा लिए गए इस फैसले का आधार आगरा के सरकारी उद्यान (गवर्नमेंट गार्डन) में काम कर रहे माली (गार्डनर) संविदा कर्मचारियों का मामला है। इन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ हाई कोर्ट ने चयन समिति यानि की Selection Committee को सख्त आदेश दिया है कि वह इन कर्मचारियों की अपील पर दोबारा विचार करे। सिलेक्शन समिति को चाहिए कि वह याचिकाकर्ताओं की बात सुने और रेगुलर करने की प्रक्रिया को नए सिरे से देखे।

आपकी बता दें की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि अनुच्छेद 16 के तहत सभी नागरिकों को समान अवसर मिलना चाहिए। अगर कोई संविदा कर्मचारी कई सालों से सेवा दे रहा है, तो उसे भी स्थायी नौकरी का अवसर मिलना चाहिए। ऐसे मामलों में सिर्फ तकनीकी कारणों से रेगुलर करने से इनकार करना संविधान का उल्लंघन है।

लगातार काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर करने का हक़

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने 1998 से 2001 के बीच संविदा पर नौकरी शुरू की थी। तब से आज तक उन्होंने लगातार ड्यूटी की है, केवल कुछ कृत्रिम अवकाश (रुकावटें) को छोड़कर। इन गेप्स को कोर्ट ने गंभीरता से नहीं माना और कहा कि कर्मचारी फिर भी रेगुलर होने के हकदार हैं। 2016 में एक अधिसूचना के तहत कर्मचारियों ने रेगुलर होने के लिए आवेदन किया था। लेकिन चयन समिति ने आवेदन नामंजूर कर दिया था। इसके बाद कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन एकल पीठ (Single Bench) ने भी राहत नहीं दी थी। अब डिवीजन बेंच (खंडपीठ) ने उनके पक्ष में फैसला दिया है।

आदेश आने से अन्य संविदा कर्मचारियों को मिली उम्मीद

आपको बता दें की हाई कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला सिर्फ आगरा के संविदा कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि देशभर के लाखों संविदा कर्मियों के लिए एक मिसाल बन सकता है। जो भी संविदा कर्मचारी जो कई सालों से लगातार सेवा में हैं, वे इस आधार पर कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं।

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