UP Outsource Employees Big Update : उत्तर प्रदेश संविदा सेवा निगम से संबंधित एक बहुत बड़ी अपडेट सामने आई है। जो कि संविदा कर्मचारियों के लिए बहुत ही आवश्यक है। दरअसल उत्तर प्रदेश के अंतर्गत लगभग 11 लाख से अधिक संविदा कर्मचारी किसी ना किसी विभाग में कार्यरत हैं, जो की संविदा पर सरकारी नौकरी का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही आपको बता दें कि इन सभी कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश के अंतर्गत संविदा सेवा निगम बनने का इंतजार है। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा संविदा सेवा निगम से संबंधित नियमों को बदल दिया गया है, जिसके मुताबिक अब यह सेवा निगम संविदा कर्मचारियों के लिए कार्यरत होगा।
यूपी संविदा सेवा निगम के कार्यप्रणाली बदलाब
दरअसल पहले संबंधित विभाग के द्वारा कर्मचारियों को संविदा पर लगाया जा रहा था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा यूपी संविदा सेवा निगम की रचना की गई है। जो की संविदा संबंधित आउटसोर्स एजेंसियों का चयन करेगी। जिसके अंतर्गत अब उम्मीदवार को 60 साल तक संविदा पर नौकरी देने की गारंटी नहीं दी जाएगी, बल्कि वह 3 साल के लिए संविदा नौकरी हेतु चयनित किए जाएंगे। साथ ही आपको बता दें कि अब से संविदा सेवा निगम के द्वारा किसी भी प्रकार का नौकरी प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जाएगा। बल्कि आउटसोर्स एजेंसी ही संविदा कर्मचारियों का चयन करेंगी। इसके अलावा संविदा सेवा निगम, एजेंसी की कार्य प्रणाली पर निगरानी रखेगी और किसी भी प्रकार की त्रुटि पर कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
यूपी संविदा सेवा निगम में बदलाव क्यों?
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा अप्रैल के अंतिम सप्ताह के अंतर्गत एक बैठक की गई थी। जिसके मुताबिक यूपी संविदा सेवा निगम में बदलाव किया गया है। दरअसल यह बदलाव सरकार की एक पॉलिसी के अंतर्गत किया गया है, जिसके अनुसार संविदा पर चयनित कर्मचारी अपने आप को सरकारी कर्मचारी मानने लगते हैं और वह सरकारी कर्मचारी का वेतन भी प्राप्त करना चाहते हैं। साथ ही स्थाई नौकरी की मांग भी करते हैं, जिसके कारण यह मामला विभाग के साथ-साथ श्रम विभाग एवं कोर्ट तक पहुंच जाता है। इसीलिए इस प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए यूपी संविदा सेवा निगम के द्वारा बड़ा बदलाव किया गया है। अब से एजेंसियां ही संविदा कर्मचारियों का चयन करेंगी।
यूपी सरकार की नीति क्या है?
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा संविदा संबंधित कर्मचारी के स्थायित्व को कम शक्ति प्रदान करना है। जिससे कि वह स्थाई नौकरी के लिए मांग ना कर सके और वह अपने आप को सरकारी कर्मचारियों के पद से ना आंकें। इसीलिए सरकार के द्वारा संविदा कर्मचारी की सीधी भर्ती बंद कर दी गई है। जिससे कि उन्हें अब से कोई भी संविदा कर्मचारी का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। बल्कि एजेंसियां ही इन कर्मचारियों का चयन करेंगी और वह ही इनका समय से वेतन प्रदान करेंगी। इन एजेंसियों का चयन संविदा सेवा निगम के द्वारा किया जाएगा और वह एजेंसियों पर कानूनी तौर पर निगरानी रखेगा।